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इतनी बेचेनियाँ हैं इस मन में
रूह घबरा रही है अब तन में
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शोर बढ़ने लगा है धड़कन का
दर्द क्यूँ चीख़ता है धड़कन मे
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एक तुम ही न मिल सके हम को
और तो सब मिला है जीवन में
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