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ग़ज़ल - फ़िक्र के आईने में जब भी उसे देखता हूं

Afzal Ali AfzalAfzal Ali Afzal January 2, 2023
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फ़िक्र के आईने में जब भी मुझे देखता हूं

ख़ुद को दरिया से फ़क़त बूंद लिए देखता हूं


बे ख़बर, रोड़ पे इन भागते बच्चों को मैं

कितनी हसरत से थकन ओढ़े हुए देखता हूं 


कितनी उम्मीद से आया था तुम्हारे दर पर

तुम ने बस यूं ही मुझे कह दिया है देखता हूं

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