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अब तो लौट आओ
की हम ने
अब तब चराग़ों को
नहीं बुझाया
कब तलक आओगे
तुम्हारे लिए
वही रतजगों का शोर है
बारिशों का जोर है
एक आस लगी है
अब तो लौट आओ
की हम ने अब तक
चरागों को नही बुझाया ......
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