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जल की कदर करो मेरे यारो जल बिन जीवन कहां रखा है,

जिसने व्यर्थ बहाया जल को उसको कहां सुख चैन मिला है,

तुम पता करो उस प्यासे से क्या परिभाषा जल की है,

कंठ शुष्क हो गया हो जिसका ज्येष्ठ दोपहरी की गर्मी से,

प्राचीनकाल में कभी सोचा था कि जल भी बिक जाएगा,

पैसे वालों की प्यास मिटेगी प्यासा निर्धन मर जाएगा,

समय अभी भी है मेरे यारो तुम सावधान हो जाइए,

सदा सदुपयोग करो तुम जल का जल को व्यर्थ ना बहाइए ,

महत्व समझिए पानी का तुम वनोन्मूलन को रूकवाइए,

अब लापरवाही मत करिए और तुम लोगों को समझाइए,

जल संरक्षण हेतु अब सब एक नया अभियान चलाइए,

घर घर जाकर अब हम सब जल जागरूकता फैलायेगें,

अब जल व्यर्थ नहीं बहाने देंगे ना ही खुद व्यर्थ बहाएगें,

अग्रिम जीवन को अपने हम सब अब सुख समृद्ध बनाएंगे।


                आदित्य यादव उर्फ

                "कुमार आदित्य यदुवंशी"

                   बरेली, उत्तर प्रदेश

        

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