
Share0 Bookmarks 98 Reads0 Likes
ढलती रात के पलकों पर आसमान झुका हुआ है
तारें दरख़्तों के शाख़ पर टिमटिमा रहे हैं
हसुए के आकार का आधा-पौना चाँद
सामने वाली छप्पर पर उतर आया है
नीली रात में घुल रहे समूचे ब्रह्मांड का एकाकीपन ,
रात के नीलेपन को और भी गहरा कर रहा है
इस अकेली रात में
मेरे प्रेम के ध्रुव तारे का प्रकाश
उस भोर की दिशा में अनेकों प्रकाश वर्ष
की दूरी तय कर रहा है जिस भोर में तुम्हारे
चेहरे की गुलाबी रोशनी बिखरी हुई है
मेरे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments