
लिखनी है एक कहानी अब फिरसे,
कभी जमीन बूंद पानी को ताके ना तरसे,
फिर आके मिलें दो दरिया किनारे,
इक बेहतर समंदर फूलों की क्यारी,
तू जैसे जमीं पे उतारी गई हो,
गजब हो इतनी तुम बेहतर संवारी गई हो,
आंखे तिलिस्मी साहेब फर्क बताऊं,
होठ गुलाब गाल जामुन भई हो,
तुम भी सुरमा जब काला लगाती हो जानम,
कितनी सुनामी बुलाती हो जानम,
पर रहमत कि हर सब पे पर्दा किया,
पर आंखे कयामत दिखाती हो जानम,
तेरे किस्से थे थोड़े पुराने कई,
मेरी जां तुमने कभी को सुनाया नहीं,
गैरो ने हमको सुनाया सभी,
पर क्या ऐतराज भी हमने जताया कभी,
तुम आई थी कहानी में तितली सी बनके,
तेरे बदन की खुसबू से मेरे हर दर महके,
तूने ही बारी हमेशा पुकारा मुझे,
मुझे बदतर से बेहतर संवारा मुझे,
मेरे हाथों को हाथों में थामा था जब,
मेरी धड़कन को शीशे में उतारा था तब,
मुझ्पे अम्मा के जैसे ही प्यार किया,
यारों के जैसा लाड़ दुलार किया,
जैसे भाई सा हक़ जताया भी तुमने,
इक बहन सा मेरे ऐब पे सुनाया भी तुमने,
मेरे बाप सा आपने ध्यान दिया,
आंसू बहा कर सम्मान दिया,
इतना कर्जा किया ना लौटेगा ये,
कौन मेरी मोहब्ब्त को तौलेगा ये,
तुम कह दो तो मानूंगा बातें सभी,
कह तो कि मोहब्बत वोहब्बत अब नहीं,
तेरे दीद तेरे जुमलों के आदि हैं हम,
तू खुदा है और तेरे नमाज़ी हैं हम,
नाज़ साथ तेरे कितना आ हूं चुका,
ना भूल न डरपोक बड़े निहायती हैं हम,
तेरे हाथों में है अब ये डोरी मेरी,
तू थी और है भी पूरी ही मेरी,
पर ना जानें किन बातों से हटने लगा,
तू भी औरों सा ही क्यों अब को दिखने लगा,
बस मेरे जां तुम्ही से बस प्यार मांगा है,
जो देते थे तुम वो ही संसार मांगा है।
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