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मैं तुझे जी भर के देखना चाहता हूंँ,
अपने सपने को हकीकत होते देखना चाहता हूंँ,
तेरी आंँखों में मैं खुद की तस्वीर देखना चाहता हूंँ,
और तेरे लबों पर मैं अपना नाम चाहता हूंँ।
तेरे कानो के कुंडल में जो बीज है,
उसमें मैं अपना प्रतिबिंब चाहता हूंँ।
और तेरी पायल की छनछनाहट में,
मैं अपनी आवाज़ चाहता हूंँ।
बस जाना चाहता हूंँ तेरे हर कण-कण में,
और घुल जाना चाहता हूंँ तेरे हर रूप में।
मिटा देते हैं चलो ये दूरियांँ,
और थाम लेते हैं हाथ एक दूजे का।
निकल पड़ते हैं अपनी ज़िंदगी के सफर पर,
कर एतबार अपनी चाहतों का।
- आदित्य खटाना
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