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कितना मुश्किल है इंसान बने रहना
कितना आसान है पल में बदल जाना
अगर बदलना है तो खुद को बदलो पहले
धर्म,मजहब से निकलो पहले
हमने अपने ज़ेहन में कैसे वहम पाले हैं
ये तो अपने हैं जो दिखते थोड़े मतवाले हैं
आओ मिलकर हम मानवता को निभाए ऐसे
लोग दे मिसाल हम बन जाएं ऐसे
तुम कभी हाथ जोड़ के प्रार्थना कर लो
हम कभी दुआओं में खैरियत मांगें
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