
Share0 Bookmarks 56 Reads0 Likes
यहां आकर जो खुशी मिलती है
वो खुशी कहीं नही मिलती
एक अपनापन वो भी
मासूमियत से भरा हुआ
कुछ अनोखापन वो भी
मस्ती से भरा हुआ
एक लिहाज़ वो भी अपने
दायरों में घिरा हुआ
कुछ अनकही आंखें
वो भी घूरती नही
निहारती हुई मुझको
कुछ मुस्कुराहट से लबरेज़ होंठ
वो भी निश्च्छल प्रकृति से निर्मल
वो फूलों की भांति खिले-खिले चेहरे
जो सम्बल देते है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments