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मेरी परछाई भी कल टूट गई मेरे दर्द को झेल कर
निकल आए वो आंसू जो रखे थे बरसों समेट कर
परछाई पूछने लगी य
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मेरी परछाई भी कल टूट गई मेरे दर्द को झेल कर
निकल आए वो आंसू जो रखे थे बरसों समेट कर
परछाई पूछने लगी य
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