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अंग लगाय सांवरों,मोहि देह दिये सब रंग,
मेह बन सनेह बरसाया, मैं हुई जल तरंग।
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जाने कउनि रंग पिया जी लाए आपन संग,
रगरत देह झुलसी मोरि तनिक न उतरा रंग।
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फ़क़त‘फरीदा’ ✍
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