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तेरा अंजुरी भर प्रेम, मेरा भवसागर,
मैं प्रेमतृष्णा तू प्रेम का ढाई आखर।
तू वृंदावन की सांझ की पावन बेला,
मैं मरूभूमि उगा कोई वृक्ष अकेला।
©अबोधमन //फरीदा
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तेरा अंजुरी भर प्रेम, मेरा भवसागर,
मैं प्रेमतृष्णा तू प्रेम का ढाई आखर।
तू वृंदावन की सांझ की पावन बेला,
मैं मरूभूमि उगा कोई वृक्ष अकेला।
©अबोधमन //फरीदा
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