अभी जीना है मुझे..!'s image
Poetry1 min read

अभी जीना है मुझे..!

अबोध मनअबोध मन December 16, 2021
Share2 Bookmarks 31936 Reads4 Likes

नींदों से डरी है कि उसे फिर खोना नहीं है,

अंधियारों से लिपट के उसे अब रोना नहीं है,

परत दर परत गमों की चट्टान बना सीने में,

बर्फ़ बन रही है जिसे अब पानी होना नहीं है।


सैलाब तो उसने ख़ुद ही लिखे अपने हिस्से,

बारिश ने कहा था; उसे अब भिगोना नहीं है।

तकदीर लिखन

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts