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वक्त के मारे है साहब
आपके सहारे है साहब,
लोग तो मौत से भी लड़ते हैं
हम जिन्दगी से हारे हैं साहब।।
जब तुम साथ थे,
शामें थीं, शराबें थीं महफिलों में रौनकें थीं,
जब से तुम गए हो सब सुनी पड़ी है साहब।।
#अतुल_फर्रुखाबादी
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