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जो सुख इक पल गुरु दे दर्शन विच्च,
ओ दोहां जहाना ना दिस्से
जिसते मेहर सतगुरां दी होवे,
ऐ सुख आवे तिसदे हिस्से
दर्शन करत मन ठण्डा होया,
दुख ररिद्र सब नस्सै
संत रैन भाल्लण सब एस सुख नूं,
पर लद्दा किस्से किस्से।
(संत रैनदास जी)
ओ दोहां जहाना ना दिस्से
जिसते मेहर सतगुरां दी होवे,
ऐ सुख आवे तिसदे हिस्से
दर्शन करत मन ठण्डा होया,
दुख ररिद्र सब नस्सै
संत रैन भाल्लण सब एस सुख नूं,
पर लद्दा किस्से किस्से।
(संत रैनदास जी)
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