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राम तजूं (सहजोबाई)

Abhishek TyagiAbhishek Tyagi July 31, 2022
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राम तजूँ पै गुरु न बिसारूँ। गुरु के सम हरि कूँ न निहारूँ॥
हरि ने जन्म दियो जगमगाहीं। गुरु ने आवागमन छुटाहीं॥
हरि ने पांच चोर दिये साथा। गुरु ने लइ छुटाय अनाथा॥
हरि ने कुटुँब जाल में गेरी। गुरु ने काटी ममता बेरी॥

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