
मातृ दिवस के शुभ अवसर पर प्रथम स्वरचित कविता अगर कविता में कोई कमी या गलती हो तो मुझे (अभिषेक) को माफ करे धन्यवाद ।
❤️मैं यह कविता अपनी श्री माता जी समर्पित करता हूं।❤️
सर्वप्रथम मां नमन तुम्हे इस धरा पर मुझको लाई हो,
अर्ज करू उस प्रभु से जीवन तेरा सुखदाई हो,
मां के चरणों में मुझको सारी खुशियां मिल जाती है,
भूखा यदि मैं सोऊं तो जागकर मुझे खिलाती है,
रूठ भी जाऊं अगर कभी तो मां ही मुझे मानती है । ........(1)
सह लेती खुद दुखड़े सारे कष्टों से हमे बचाती है,
यदि दिखता कभी बेचैन हूं मैं तब खाना तक नहीं खाती है,
ईश्वर का ही रूप है मां हमे जीवन जीना सिखलाती है,
पापा जी की डांटो से मां ही हमे बचाती है
खुद सुन लेती है पापा की पर हमे गले लगाती है। ........(2)
मां तेरी प्यारी ममता मैं हरगिज भूल नही सकता हूं,
मिट सकता हूं तेरे लिए पर अपशब्द नही सुन सकता हूं,
धन्य है मां तेरी करुणा मैं शत शत तुम्हे कोटि प्रणाम करूं,
मुझे गोद मिले फिर यही तेरी प्रभु से यही गुणगान करूं,
मैं आभारी हूं उस प्रभु का जिसने मां से मुझको मिलवाया है,
उनसे पूछो जरा जिसने मां का दर्शन तक नहीं पाया है। ........(3)
इस मातृ दिवस पर मां तुमको ये अभिषेक सादर प्रणाम करे,
अगले जन्म में भी यही गोद मिले अभिषेक प्रभु से ऐसा गुणगान करे। ........(4)
#मातृ_दिवस
स्वरचित प्रथम कविता :- अभिषेक यादव
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