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"माता पिता एक एहसास"
लिखता तो क्या लिखता बारे में उनके,
किसी के लिए वो माता पिता का रूप,
तो किसी के लिए भगवान की तरह होते हैं,
किसी के लिए एक दुनिया का स्वरूप,
तो किसी के लिए पूरा संसार होते हैं,
उनका हर वक़्त, हर पल बिना किसी लालच साथ देना हमें,
भूलकर अपने दर्द और खुशियों को बांट देना हमें,
बिना किसी उम्मीद अपना सबकुछ त्याग देना हमें,
अक्सर भूलकर सबकुछ माफ़ कर देना हमें,
उनका होना हर मुश्किल में मजबूत बनाता है हमें,
उनका ना होना गंभीर मौन का एहसास दिलाता हैं हमें,
उनकी यादें और बातें हरपल महसूस होती है हमें,
उनकी सीख और संस्कार आज भी याद पड़ती हैं हमें,
उनकी आवाज़ आज भी सुनाई पड़ जाए तो मन तसल्ली देता हैं हमें,
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