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तुमसे नज़रें मिलाने को जी चाहता है
ख़ुद का होश गवाने को जी चाहता है
आज कुछ तो बोलो यूं चुप ना रहो
तुम्हें सुनने को बहुत जी चाहता है
एक उम्र बीत गई, खफा हो मुझसे
अब तुम्हें मनाने को जी चाहता है
ये सागर से भी गहरी हैं आंखें तुम्हारी
आज इनमें डूब जाने को जी चाहता है
यूं दूर ना जाओ तुम मुझे ऐ हमदम
तुम्हे अपना बनाने को जी चाहता है
अभिषेक विश्वकर्मा
हरदोई, उत्तर प्रदेश
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