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जब तुमसे प्रीत लगाई थी ,
मन में थी मेरे आस प्रिये।
एक दिन होंगे एक दूजे के ,
इस दिल ने की अरदास प्रिये।
जब भी तुमसे होती बातें तो ,
मुझको ऐसा लगता था
जैसे इस खाली दिल को ,
मिल गया हो कोई ख़ास प्रिये।।
दिल में हुई हलचल उस दिन,
जब तुमसे हुई थी बात प्रिये।
बादल भी तो थे उस दिन
पर हुई ना थी बरसात प्रिये।
अब कैसे होगा सफल हमारा
प्रेम, तुम्हीं कुछ बतलाओ
तुम तो बी.ए. एम.ए. हो ,
मैं ठहरा इंटर पास प्रिये।।
अभिषेक विश्वकर्मा
हरदोई, उत्तर प्रदेश
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