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"जहाँ प्रेम ने एक बार वास किया हो, वहाँ उदासीनता और विराग चाहे पैदा हो जाए,हिंसा का भाव पैदा नहीं हो सकता। यदि हिंसा का भाव आया तो वहाँ प्रेम कभी था ही नहीं।
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