Share0 Bookmarks 238237 Reads1 Likes
इन थरथराते हाथों की थरथराते अंगुलियों से,
थरथराते शब्दों में तुझे लिखना कितना मुश्किल है...
उतना ही जितना तेरी इन आँखों के दरिया से मेरा निकल पाना,
तेरी रेशमी जुल्फों की उलझनों के भंवर में फंस के रह जाना,
तेरे होठों की वो प्यारी मुस्कान जो मेरा ध्यान तेरी ओर खींच ले जाती थी,
उसे बापस ला पाना,
तुझे लिखना कितना मुश्किल है...
उतना कि तेरे साथ देर रात तक की गई बातें जब भी याद आती हैं,
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments