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वो दिहाड़ी कमाता है
दो वक्त का खाना मिल जाये
रात को..
बिस्तर लगाने की जगह हो
और छत ना हो तो
कोई शामियाना ही मिल जाये
~ अभिनव
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वो दिहाड़ी कमाता है
दो वक्त का खाना मिल जाये
रात को..
बिस्तर लगाने की जगह हो
और छत ना हो तो
कोई शामियाना ही मिल जाये
~ अभिनव
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