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मनोबल गिरा कैसे, हे महारथी ।
द्वंद का अंत तो अभी बाकी है ।।
भुजाओं में साध धनुष,
प्रत्यञ्चा में टंकार अभी काफी है ।।
मूर्छित मन से भय हर के देखो,
जीवन युद्ध पर जय कर के देखो,
अश्व थके है कहाँ तुम्हारें,
पराक्रम से लगाम कसकर तो देखो ।।
अजेय रथ के पहियों की,
गति तो अभी बाकी है ।
अंतरमन की सुन कर तो देखो,
टापों में लोह अ
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