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एक चंचल चहरा,मेरे लाल का
प्यारे संक्षिप्त भाव भला,
मेरी ओर हर शाम चले
लेकर अपना सवाल बड़े।
मदमस्त होकर वो भीतर आये
अधूरे सवाल पर प्रश्नवाचक लगाये
औऱ बोले
"पापा आफिस ख़त्म?"
मै भी अब मुस्करा लिया,
कुछ क्षण की लेकर देर,
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