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सुनो ना..
मैंने तुम्हें फिर ख़्वाब में देखा हैं
तुम ठीक तो हो ?
ये ख्याल दिल को झंझोर देता है
मैं तो इंतजार में ही हूं कोई पैगाम आए
दिल को दोनो हाथो से जाने कैसे संभाल रखा हैं
जानती हूं कोई हक़ तो नही हैं
फिर भी तेरी फ़िक्र को अपना हक़ मान रखा हैं
' मेरे थे कभी तुम ' यकीनन अब किसी ओर की ता'बीर हो
पर खुशकिस्मती हैं मेरी ' कभी तो मेरे थे ' ...
तुम्हें आज भी मैंने अपना सारा जहां
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