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वो ही गीत लवों पे आते हैं,
जो राष्ट्र का गौरव बतलाते हैं,
हमें बो ही मानुस भाते हैं,
जो राष्ट्र सेवा में,
सर्वस्य समर्पित कर जाते हैं।।
हम उस देश के वासी हैं,
जिसे विश्व गुरु का स्थान मिला
नदियों को माँ सा सम्मान मिला,
वृक्षों को भगवान का स्थान मिला।।
जहाँ का हर कंकर शंकर है,
हर कन्या को देवी का स्थान मिला।।
जहाँ गुरु भगवान से बढ़कर है,
विद्यालय को मन्दिर का स्थान मिला।।
जहाँ भोजन भी अन्न देवता कहलाते हैं,
जल-अग्नि को भी देवत्त स्थान मिला।
जिसे ऋषियों-मुनियों तपस्या ने बनाया है,
जो स्वर्ण धरा कहलाया है।।
जहाँ विभिन्न भाषायें बोली जाती,
पर सबको अपना सम्मान मिला।।
जिसने दुनिया को उपदेश दिए,
जिसने दुनिया को प्रकृति से प्रेम शिखाया<
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