
Share0 Bookmarks 185 Reads2 Likes
न देना कृष्ण सा प्रेम मुझे,
न में राधा बन पाऊँगी,
सारा जीवन अलग होकर,
कैसे में एक कहलाऊँगी।।
न दरश देना मुझे कृष्ण बन,
न में मीरा बन पाऊँगी,
जीवन तो सारा बस तेरे नाम कर,
बिन तेरे विरह में न रह पाऊँगी।।
न बनना तुम नटखट कन्हैया,
न में गोपी तुम्हरी बन पाऊँगी,
तुम जो चले जाओगे मुझे एक दिन छोड़,
कब तक उद्धव के पत्र के भरोसे में खुद को जीवत रख पाऊँगी।।
तुम अगर प्रेम देना मुझे कृष्ण सा,
में रुक्मणि तुम्हारी बन जाऊंगी,
भले ही नाम न ले इतिहास हमारा साथ,
जिंदगी भर साथ तेरे तो रह पाऊँगी।।
~अभय दीक्षित
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments