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तुम्हें अगर में तस्वीर समझता,
तो तुम लग जाती मकानों में,
तुम्हें अगर में एक रीत समझता,
निभाता हर पल जमाने में।।
तुम्हें अगर में वक्त समझता,
तो तुम निकल जाती,
तुम्हें अगर में जीत समझता,
तो एक न एक दिन हार जाता।।
तुम्हें अगर में चाँद समझता,
तो तुम तारों से घिर जाती,
तुम्हें में अगर प्रेम समझता,
तो एक दिन पूरी हो जाती।।
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