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राम जीवन में एक समर्पण सा ,
सीता जीवन का एक विश्वास हैं,
दोनों जब एक ही डगर पर चले,
मानवता का रचा नया इतिहास है।।
राम मूर्ति मर्यादा पुरषोत्तम सी,
सीता भाव है त्याग का,
दोनों ही अपने धर्म में हमेशा बंधे रहे
यही कर्म है मानव होकर देवता बनने का।।
राम वचनों में प्रेम का समर्पण बने,
सीता प्रेम में वचनों का निर्वाह बानी,
जब अमर प्रेम कथा को दुनिया ने सुना,
राम-सीत
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