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तुम्हारा एकाकी जीवन में आना एक झूठी कहानी है,
कैसे भूले हम तुम्हें आज भी दिल में जीवित तुम्हारी निशानी है,
कैसे कहें हम तुमसे तुम झूठी हो तुम्हें प्यार निभाना नहीं आता,
प्रेम में तो आज भी दुनिया झूठ की ही दीवानी है।।
~अभय दीक्षित
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