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में चल रहा हूँ,फिर भी रुका हुआ हूँ।
उसके इंतज़ार में स्तब्ध खड़ा हुआ हूँ।
कहीं आते वक्त बो, पता न भूल जाये मेरा।
में ही उसके लिए,दर-दर भटक रहा हूँ।।
~अभय दीक्षित
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