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Peace PoetryPoetry1 min read

कोई न यहाँ रुक पाया

Abhay DixitAbhay Dixit January 17, 2022
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बहुत आये बहुत गये,
 कोई न यहाँ रुक पाया! 
कोई काटों पर चलकर
मंजिल को पहुँचा,
किसी ने यूँ ही मंजिल को पाया!
कोई जीवन भर मांगता रहा,
किसी ने बिन मांगे सब पाया!
कोई तउम्र साथ रहा,
किसी को एक पल का भी
साथ, नसीब न हो पाया!
कोई फकीरी में मुस्कुराता रहा,
किसी को सब होते हुए उदास पाया!
को

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