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हवा में जहर घुल चुका है!

Abhay DixitAbhay Dixit August 3, 2022
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हवा में जहर घुल चुका है, बो शायद किसी और से मिल चुका है
हिचकियाँ रुक गई हैं अब मेरी, शायद बो  बदल चुका है।।

जमाने को कैसे समझाऊँ ,अब खाली हंगामा बचा है,
जिसके चर्चे मेरी बगियाँ में थे, बो गुलाब कहीं और खिल चुका है।।

शायद म

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