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हम सब उसी ईश्वर के बने पुतरे हैं

Abhay DixitAbhay Dixit January 21, 2022
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एक ही माटी के बने हुए हैं
फिर भी क्यों इतने अलग-अलग  बंधे हुए हैं,
संप्रदाय में सब अलग हुए हैं,
मधुशाला पर सब एक हुए हैं,
हम सब में इतनी समानताऐं है,
फिर भी क्यों इतने बटे हुए हैं,
जब एक ही ईश्वर के बने हुए हैं।।

कोई रंग भेद का यहाँ है शिखारी ,
किसी पर  जात-पात यहाँ पड़ रही है भारी ,
किसी में नारी के प्रति भेद भाव है आया,
न जाने हम सबकी मति इतनी क्यों है मारी मारी।।

जब सफर सबका एक ही है,
जाना सबको एक ही जगह,
जब उसने सबको एक ही बनाया
फिर हम क्यों हैं इतने जुदा-जुदा।।

जब हम सब एक नये सफर में उतरे हैं,
सब ही मैले हैं, सब ही साफ-सुथरे हैं,
कोई कहीं और से आया है नहीं,
हम सब एक ही ईश्वर के बने पुतरे हैं।।
~अभय दीक्षित

#मानव #love

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