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हम बो शीशा है जो टूटकर भी!

Abhay DixitAbhay Dixit March 27, 2022
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हम बो शीशा है जो टूटकर भी, 
खनक नहीं छोड़ते हैं।
दिल भले तापड़ता रहे तेरी याद में,
पर जीना नहीं छोड़ते हैं।।

कोई मिलने आये या न आये हमसे,
इंतज़ार नहीं छोड़ते हैं।
कोई कितना भी बर्बाद करने की सोचे मुझे,
आबाद होने की चाह नहीं छोड़ते हैं।।

हम तो तेरे बो आशिक़ है जो तेरी

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