Share0 Bookmarks 48761 Reads1 Likes
हम बेगानी राह से निकले अपनी राह बनाने को ,
कितने यहाँ लोग मिले हमको राह दिखाने को।
जो सफर हमने शुरू किया तो संघर्ष हमने अपना लिया,
जिसको हमने अपना समझा उसी ने मुँह मोड़ लिया।
जो चले हम पथ पर न जाने कितने हमारे साथ चले,
फिर देखकर रास्ते के काँटे न जाने कितने साथ छोड़ चले।
जो चल रहे थे साथ में उनके मन में भी शंका थी,
यही कारण मार्ग में न चल पाने की बिडम्बना थी।
जिनको हमने जगत विजेता समझा बो मन के द्वारे हारे निकले,
जिनको हमने हारा समझा बो ही पथ के विजेता निकले।
<No posts
No posts
No posts
No posts
Comments