Share0 Bookmarks 0 Reads0 Likes
उन्हें हम बुलाये या न बुलाये,
बो बे-शर्म तो चले आएंगे!
मौसम खफा है तो रहने दो,
बो अब और नहीं रुक पाएंगे!
दिया था वक्त उन्हें पाँच साल का,
फिर भी न कोई वादा पूरा हुआ,
एक-एक साल का,
फिर भी उनको आने की इतनी जल्दी है,
लगता है उनकी नॉटंकी समय अब पास है!
बे सोच रहें हैं,
इस बार भी हम उनको पहले जैसे,
दो को सात बता आएंगे!
कोई उन्हें बुलाये या न बुलाये,
बो बे-शर्म तो चले आएंगे!
बो सोच रहे हैं,
जो सड़के पहले से ही वादों की बनी थी,
इस बार भी वादों से,
और मजबूत बनाकर आएंगे!
दिन को रात बनान
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments