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भूलना आसान नहीं था पर मैं भूलता गया,
ज़ख्म मुझे भी मिले पर मैं संभालता गया।
जिसने जैसा भी चाहा मैं वैसा ढलता गया,
औरों के लिए ही खुद को बदलता गया।।
~अभय दीक्षित
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भूलना आसान नहीं था पर मैं भूलता गया,
ज़ख्म मुझे भी मिले पर मैं संभालता गया।
जिसने जैसा भी चाहा मैं वैसा ढलता गया,
औरों के लिए ही खुद को बदलता गया।।
~अभय दीक्षित
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