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बे खुदी में, तेरी हँसी में, में भूल गया खुद को इसी जमीं में,
तेरे भोलेपन को देखा मैने, मुझे लगा में जान गया तुझे सही में
कुछ पल देखा, फिर मैने जाना, ये क्या भूल हो गई मुझसे ख़ुशी ख़ुशी में
अब मैं भी क्या ही करता, खुदकी की गलती पर किस्से झगड़ा करता
जो बात न करनी थी, बो ही बात दिल कर बैठा, सही-सही में
जब देखा तेरा चेहरा,बे शुद हो गई आँखे,भूल गई दिल का पहरा
आजाद दिल को देखकर, में भी बेबस था, बात हो गई बस उसी घड़ी में
जितना पता था, उतना जाना, प्यार हो जाता कुछ ही घड़ी में
बाहर जितना शोर था, अंदर उतना सन्नाटा,पर दिल गलती पर दिल को कभी न डांटा
जो बना था में ज्ञानी,कभी न किसी की बात मानी,जब आँखों में आया पानी ,तब तक लिख चुकी थी मेरी कहानी
आसान नहीं होता ,दिल रुबा तुझको जानना ,भोलेपन को देखकर तुझको पहचानना
तब तो जो भूल हुई नादानी में,अब भी उसको निभा रहा हूँ सही -सही में।।
~अभय दीक्षित
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