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बड़ी सरल है मेरी कहानी,
में बड़ा ही भोला भाला था,
तुझ पर जो हार गया में,
अँधा आँखों वाला था।।
मर मिटा में तेरी मुलाकातों पे,
जैसे तितली मर जाती है फूलों पर,
सब कुछ तो में जान रहा था,
न जाने क्यों चढ़ा प्यार के तेरे शूलों पर।।
तेरे लिए पत्र में मैने नग्मे जड़ दिए
जिन हाथों ने जेवर कभी न देखा था,
तू महफ़िल में सजी बैठी ,
में बाहर कटोरा लेके बैठा था।।
रीत गया था सारा तन मन,
ओ साथी तेरे प्यार में,
जो भी था तुझे दे दिया,
अब क्या बेंचु बाजार में।।
मन मेरा रीत गया था,
मष्तिक मेरा भर रहा था,
जो कुछ लिखा था तेरे लिए,
बो बेंच के पेट अपना भर रहा था।।
~अभय दीक्षित
#प्रेम
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