
Share0 Bookmarks 76 Reads0 Likes
उम्र घटी तो उम्मीदों को घटते देखा,
पुराने लोगों को नए पन में ढलते देखा।
प्रेम जो दुनिया में जीने की पहली थी,
उस रूढ़ी जिम्मेदारियों में बदलते देखा।
हम तो चले थे यहाँ सबको अपना समझकर,
अपनेपन में भी यहाँ अपनापन ज्यादा देखा।
यूँ तो हर घर शहर मोहब्बत से चला करते थे,
अब उस मोहब्बत को भी नफरत में बदलते देखा।।
~अभय दीक्षित
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments