......बदलते देखा's image
Poetry1 min read

......बदलते देखा

Abhay DixitAbhay Dixit May 10, 2022
Share0 Bookmarks 76 Reads0 Likes

उम्र घटी  तो  उम्मीदों को घटते देखा,


पुराने लोगों को नए पन में ढलते देखा।


प्रेम जो दुनिया में जीने की पहली  थी,


उस रूढ़ी जिम्मेदारियों में बदलते देखा।


हम तो चले थे यहाँ सबको अपना समझकर,


अपनेपन में भी यहाँ अपनापन ज्यादा देखा।


यूँ तो हर घर शहर मोहब्बत से चला करते थे,


अब उस मोहब्बत को भी नफरत में बदलते देखा।।


~अभय दीक्षित

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts