
Share0 Bookmarks 72 Reads1 Likes
जानेवाले चले गये मायूस होकर
आनेवाले आ गये सोच समज़कर
उंगली पकड़कर गर्दन तक पंहुचे
सरपर चढ़े जाने - अनजाने में
क्या फर्क पड़ता हैं भाई कौन हैं ?
गोरे हो या काले, इधरके हो या उधरके
तानाशाही, भ्रष्टाचार , महंगाई , बेरोजगारी
जनता बेचारी देखते रहे हमेशा की तरह
खानेवाले खा गये जी भरके , दिल खोलके
अनपढ़ नासमझ अंधभक्त बेचारे क्या करे ?
फेकी रोटी ,रहमोकरम पर जीत
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments