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यह तो हैं बस चाबीदार खिलौना
उसको कोई संवेदना होती न
किसी से प्यार वफ़ा न कोई रिश्ता
नहीं किसी सुख दुःख से कोई लेना देना
जितनी भी लगेगी चाबी
उतनाही चलेगा खिलौना
सुबह शाम रात प्रहर घूमेगा
तब तक चार्जिंग ख़तम न हो
जैसे कटपुतली
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