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आज समझें कि ज़िंदगी कितनी क़ीमती है,
अदृश्य ताक़त अब पीठ पीछे रेंगती है,
ऐसा क्यू लगता कुदरत इंसान पर ग़ुस्सा है,
पशुओं पर प्रेम कर के दिखाओ की,
उन्हें भी जीने का इंसान बराबर हिस्सा है।
-आकाश सोनवणे
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