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"तुम"


वो याद है तुम्हें, तुमने जब अपनी झूकी हुई पलकें उठाकर मेरे आंखों से मिलाकर वो आलम खामोश कर दिया था और जब बिना कुछ कहे वो ख़ामोशी आंखों से उतरकर दिल में इश्क धड़का दे


वो फिज़ा हो तुम..


लिखी जाती है जब देख के चांद तारों को शायरी, उस शायरी में गुजरी हसीन वो निशा हो तुम।


अरे तुमने पुछा था ना कि क्यो पढ़ते रहते ह

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