Share0 Bookmarks 102 Reads0 Likes
आईने की कैद
परछाइयों की कैद,
मैं पहचाने निकला,
भाव के दर्पण को ||
भूल बैठे की,
सत्ता तो अभी,
परछाईयों की हैं ||
परछाइयों ने,
तोड़ के दर्पण,भाव को बनाया बंदी ||
टूटे दर्पण की,
No posts
No posts
No posts
No posts
आईने की कैद
परछाइयों की कैद,
मैं पहचाने निकला,
भाव के दर्पण को ||
भूल बैठे की,
सत्ता तो अभी,
परछाईयों की हैं ||
परछाइयों ने,
तोड़ के दर्पण,भाव को बनाया बंदी ||
टूटे दर्पण की,
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments