तुम भी फूँक डालो
अपने ह्रदय में बस रहे
ऊँच-नीच, धर्म-जात, भेद-भाव
के घिनौने, अभिशप्त रावण को
मैं भी कर देता हूँ भस्म
अपने मानस पटल पर बने
अंधकारमयी संकीर्ण विचारों का
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