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न रखना मन में वेदना
न बहाना अश्रुओं के धार
न करना अकुलित ह्रदय को
न चढ़ाना पुष्पों के हार
कहना मेरी व्याकुल माँ से
तेरा बेटा कहीं गया नहीं है
समा गया है भारत की माटी में
देखो जिस ओर, वहीँ है
कह देना हर भारत वासी से
मिली नहीं स्वतंत्रता सस्ते मोल
आवाज़ उठायी, ध्वज फेहराया
साँसे दी तलवारो से तोल
धर्म, जात, नाम, सत्ता न धन
सर्वोपरि मेरे भारत का कण-कण
जन-जन ने है रक्त बहा कर
सींचा यह बहुरंगी आँगन
वीरों का अतुलित बलिदान
देशवासियों भूल न जाना
जब-जब भी माँ तुम्हें पुकारे
तत्पर हो कर्त्तव्य निभाना
मातृभूमि की पावन धरा पर
कोई अत्याचारी यदि सर उठाएगा
राजगुरु और सुखदेव के संग
तब भगत सिंह, फिर आएगा
तब भगत सिंह, फिर आएगा !
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