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कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जीवन परिचय

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुर्जर समाज के नेता थे। देश भर में प्रचलित गुर्जर आरक्षण आन्दोलन इनके नेतृत्व की तहत हुआ था। 31 मार्च साल 2022 की सुबह कर्नल किरोड़ी सिंह का उनके निवास स्थान पर ही निधन हो गया। 81 साल से भी ज्यादा उम्र के कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जयपुर में रहते थे और काफी लंबे समय से बीमार थे।



कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म और परिवार


कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में 12 सितंबर 1939 के दिन हुआ था। फ़िलहाल उनके माता पिता की अधिक जानकारी नहीं है लेकिन उनके पिता भारतीय फौज में सिपाही थे।

उनकी शादी उस उम्र में की गई, जिसे हम बचपन कहते है। आपको बता दें की बैंसला की पत्नी का निधन हो चुका है। आज उनके चार संतान है, जिस में एक बेटी रेवेन्यु सर्विस में और दो बेटे सेना में हैं और एक बेटा प्राइवेट कंपनी में कार्यरत है।


कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के करियर की शुरुआत

बचपन से ही किरोड़ी सिंह को पढ़ने लिखने का शौक था इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने शिक्षक के तौर पर काम किया। लेकिन पिता के भारतीय फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज के प्रति कुछ ज्यादा ही था। इसलिए उन्होंने शिक्षक के नौकरी छोड़कर सेना में जाने का पक्का मन बन लिया और आखिर में भारतीय सेना में भर्ती हो गए।


सिपाही से कर्नल बनने तक का सफर 

सेना में भर्ती होने के बाद उन्होंने भारत के दो बड़े युद्ध 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया। पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान उन्हें युद्धबंदी बना लिए। किरोड़ी सिंह बड़े जांबाज़ सिपाही थे। उन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ सेना में काम किया जिसके चलते उन्हें कर्नल के ओहदे से नवाजा गया। उनकी बहादुरी के कारण उन्हें साथी कमांडो और सीनियर्स उन्हें ‘जिब्राल्टर का चट्टान’ और ‘इंडियन रेम्बो’ के उपनाम से बुलाते थे।


कर्नल से गुर्जर समाज के नेता तक का सफर 

सेना से रिटाटर होने के बाद किरोडी़ सिंह राजस्थान वापस आ गए। उन्होंने देखा की राजस्थान के ही मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया और सरकारी नौकरी में भी उन्हें स्थान दिया गया

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